UCC in Uttrakhand: बेटियों को बराबर हक, बाल विवाह पर ताला: उत्तराखंड में UCC लाने को तैयार!
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधेयक: बेटियों को बराबर अधिकार, बाल विवाह पर रोक
उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में विधेयक को मंजूरी दे दी गई। इस लेख में विधेयक की कुछ प्रमुख विशेषताओं को सरल भाषा में समझाया गया है।
विधेयक की मुख्य विशेषताएं:
- बेटियों को बराबर अधिकार: इस विधेयक के तहत संपत्ति में बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार मिलेंगे। धर्म चाहे जो हो, सभी बच्चों को समान अधिकार दिए जाएंगे।
- दत्तक ग्रहणित और जन्मजात बच्चों में कोई भेदभाव नहीं: दत्तक ग्रहण किए गए, सरोगेसी के जरिए पैदा हुए और सहायक प्रजनन तकनीक से पैदा हुए बच्चों को भी जन्मजात बच्चों के समान माना जाएगा। संपत्ति के अधिकारों में सभी को बराबरी मिलेगी।
- संपत्ति विरासत में समान अधिकार: किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पति/पत्नी और बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे। माता-पिता को भी समान अधिकार मिलेंगे। पहले केवल माता को ही संपत्ति का अधिकार मिलता था।
- बहुविवाह और बाल विवाह पर रोक: यह विधेयक बहुविवाह और बाल विवाह पर पूरी तरह से रोक लगाता है।
- सभी धर्मों के लिए समान विवाह योग्य आयु: सभी धर्मों की लड़कियों के लिए विवाह योग्य आयु एक समान होगी।
- तलाक के समान आधार और प्रक्रिया: सभी धर्मों के लिए तलाक लेने के आधार और प्रक्रिया एक समान होंगे।
विधेयक का उद्देश्य:
यह विधेयक उत्तराखंड में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनका धर्म कोई भी हो, विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और विरासत संबंधी कानूनों में एकरूपता लाने का लक्ष्य रखता है।
अगला कदम:
विधेयक को पारित करने के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाया गया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि सरकार इसे अधिनियम बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी।