शक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए: प्रथम नवरात्रि मां शैलपुत्री की पूजा
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का पहला दिन बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इसी दिन कलश स्थापना की जाती है और मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.
Day 1 of Navratri: कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat for Kalash Sthapana)
इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो चुकी है. कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 48 मिनट तक है. सबसे उत्तम मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त माना जाता है, जो इस बार सुबह 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.
मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi)
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें.
- एक चौड़े चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं.
- उस पर गेहूं या चावल रखकर कलश स्थापित करें.
- कलश में शुद्ध जल भरें.
- आम के पत्ते से कलश को ढकें और उस पर मौली (पवित्र धागा) बांधें.
- कलश के ऊपर नारियल रखें.
- कलश की पूजा करें और फिर माता शैलपुत्री का ध्यान करें.
- शंख बजाएं और दीप जलाएं.
- मां शैलपुत्री को पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें.
- मीठे का भोग लगाएं. (खीर या हलवा उपयुक्त रहता है)
- मां शैलपुत्री की आरती करें और उनका ध्यान करते हुए मनोकामना करें.
मां शैलपुत्री का आशीर्वाद पाने के लिए (To Receive Maa Shailputri’s Blessings)
- प्रथम दिन पूरे दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें.
- माता रानी को सच्चे मन से प्रसन्न करने का प्रयास करें.
- कन्या पूजन का विधान भी किया जाता है. आप नौ कन्याओं को भोजन करा सकती हैं या उन्हें उपहार दे सकती हैं.
- नवरात्रि के दौरान नशा नहीं करें और क्रोध से बचें.
- हर रोज सुबह स्नान करके ही पूजा करें.
- सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लें.
मां शैलपुत्री की कृपा से आपको शक्ति, सौभाग्य और आरोग्य का वरदान प्राप्त होगा. नवरात्रि के नौ दिनों में श्रद्धा और भक्ति पूर्वक पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.